Monday, March 15, 2010

नारंगी बादल

नारंगी बादल
- कोस्तोलानी दैज़ू

सड़क पर चला जा रहा हूँ और एक नारंगी बादल पर मेरा ध्यान जाता है जो कि सर्दी के नीले , क्रिस्टल साफ आकाश में अकेला ही तैर रहा है। दोपहर के तीन बजे हैं । खुशी मुझे एक मदहोश और कोमा की स्थिति में जकड़ लेती है कि मुझे रुकना ही पड़ता है, एक दीवार का सहारा लेता हूँ कि कहीं चक्कर खाके गिर न पड़ू ।
~ ये क्या है? ! मैं चीख़ पड़ता हूँ। इस नारंगी बादल से सुंदर तो कभी मैंने कुछ देखा ही न था। खुशी भरा उत्साह मुझपर अचानक , चतुराई से प्रहार करता है, जैसे कि कोई गैस का प्रहार । मैं ये तक नहीं जानता कि कहाँ से । सिर्फ इस बात का अहसास होता है कि जीना बहुत सुखद है खासकर इतने साफ सर्दी के दिनों में जब लाल कोहरे के छटने की प्रतीक्षा करनी पड़ती है, जब सबपर एक रहस्य सा छाया रहता है, और काले आकाश से धीरे धीरे बर्फ़ गिरने लगती है , दूर कहीं बत्तियाँ जल रही हैं, स्लेज की घंटी बज रही है । वाह क्या उम्मीद और आकर्षण हर ओर से मेरी ओर बहा चला आ रहा है। ऐसा प्रतीत होता है कि जो वास्तव में सुन्दर है वह मेरे आगे है न कि पीछे। धड़कते दिल के साथ, उत्साहित हो, पूरी उम्मीद के साथ मैं नारंगी बादल की समीक्षा करता हूँ, जो रोशनी के गुछ्छे के साथ हवा में तैरता चला जा रहा है और इस बात पर विचार करता हूँ कि कहाँ देखा मैंने , किस परिदृश्य में, किस सपने में या फिर किस सजे मंच पर, रंगीली बत्तियों के साथ चतुराई और असंभतपूर्ण ढंग से चमचमाता हुआ।
अब मुझे सब पता चल गया है। इस नारंगी बादल से मैं एक बार पहले मिल चुका हूँ, बहुत पुरानी बात है, कई दशकों पहले, जब मैं तीन बरस का रहा हूँगा या फिर ज़्यादा से ज़्यादा चार का, दोपहर भोज के बाद मुझे सुनहरे बटन वाला कोट पहना कर, सर पर फर की टोपी डाल कर, मेरे गले में पीली धारी वाला काला मखमली मफलर लपेट कर, मेरी आया के साथ चचेरे भाई के यहाँ भेजा था। तब ऐसा आसमान था, ऐसा बादल और ऐसी रोशनी थी। बस एक पल के लिये ही इन सब को देख पाया था क्योंकी हम लोगों के घर पास ही थे और न ही आसमान की ओर , न बादल की ओर और न ही रोशनी की ओर ही मेरा ध्यान जा पाया। लेकिन अब मुझे सब याद आ गया है। अब मुझे वह दिन भी याद आ रहा है, जिस दिन के बारे में मैंने अब तक कभी न सोचा था, किंतु इस पल मुझे अहसास हो रहा है कि वह मेरी ज़िन्दगी का सबसे महत्वपूर्ण दिन था। मुझे याद है कैसे मेरा कोट उतारा गया, कैसे मुझे अत्याधिक गर्म घर में ले गये और कैसे इससे पहले कि बच्चे खेलना शुरू करते मैं और मेरा चचेरा भाई निरीह और उलझन में खड़े थे। मुझे याद है कि क्रिसमस से पहले की अल्पकालीन दोपहर कैसे उबाऊ हो गयी, कैसे बत्तियाँ जल रही थी और कैसे हम साँझ के समय नीचे फारसी कालीनों पर इधर उधर फिसल रहे थे। मुझे याद है कि हमने उस दिन नारंगी खाई थी और तब मुझे अहसास हुआ था कि छिलके का रस कितना उत्तेजक और तीखा होता है, याद है कि चाँदी के कागज़ से कैसे चाकलेट खोलते चले गये थे, और तब पहली बार मैंने चाँदी के कागज के चमचमाने में , उसकी ध्वनि में असली प्रसन्नता पाई थी, याद है मुझे जब डब्बों से संगीत उत्पन्न किया था, और तब पहली बार मैंने एक गाने का आनंद लिया था। और तब मैंने ध्वनि , खुशबू , रंग की खोज की थी, जो की शानदार थी, आकर्षित करने वाली , दिल को धड़का देने वाली थी, पूरी ज़िन्दगी थी। मुझे इस बात का भी स्मर्ण है कि कैसे हम मदहोश और बेचैन हो , लाल कान लिये देर शाम तक खेलते रहे थे। हमारे बाल बिखर गये थे, खुशी से मदहोश हो गये थे , ठंड लग गई थी, मेरे आँसू बह निकले थे जब मुझे घर ले गये थे , सड़क पर अंधेरा हो चुका था, बर्फ़ के टुकड़े मेरे गर्म आँसूओं से पिघल गये थे। ये सब अब भूली बिसरी यादों के रूप में प्रकट होती हैं, मुझसे छुपन- छुपाई खेलत्ती हुई, आकर्षित करती हुई, छकाती हुई, मेरे सामने भविष्य को दर्शाती हुई जो बहुत पहले ही भूत में बदल चुका था। मनोदशा जीवन का एक ऐसा बार बार वापिस आने वाला तत्व है जिसके साथ एक अनिर्मित याद बंधी रहती है। ज़ाहिर है कि ये उसे संवार कर अलौकिक रूप प्रदान करती है, जैसे हमारी परेशानियाँ को भी ऐसी ही धुंधली, अनिर्मित यादें मुश्किल और असहनीय बना देती हैं।
इस प्रकार से , अभी तक दीवार के पास खड़े अपनी आत्मा में झाँकते हुए मैं विचार कर रहा हूँ। इस बात पर आश्चर्य करता हूँ कि कितना यादों का बोझ हम अपने साथ ढोते रहते हैं, कितना सब कुछ जिसके बारे में हम कुछ जानते भी नहीं है, कितना सब कुछ जो हमारे अंदर सुन्न सा पड़ा रहता है, और एक बार कभी शायद जीवित हो उठता है, या फिर शायद फिर कभी और जीवित न हो पाए। सोचते हुए चल पड़ता हूँ। आकाश की ओर देखता हूँ, नारंगी बादल ढूंढता हूँ, लेकिन तब देखता हूँ कि इस बीच वह भी राख़ में तब्दील हो गया था, गायब हो चुका था, कहीं भी नहीं था।

5 comments:

  1. स्वागत है


    कृप्या वर्ड वेरिफ़िकेशन हटा दे टिप्पणी करने में सुविधा होती है ।

    गुलमोहर का फूल

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  2. हिंदी ब्लाग लेखन के लिए स्वागत और बधाई
    कृपया अन्य ब्लॉगों को भी पढें और अपनी बहुमूल्य टिप्पणियां देनें का कष्ट करें

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  3. इस नए चिट्ठे के साथ हिंदी ब्‍लॉग जगत में आपका स्‍वागत है .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!

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